मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी से ही संभव है और वर्तमान में दो प्रमुख तकनीकें – फेकोइमल्सिफिकेशन (Phaco) और फेम्टोसेकंड लेज़र असिस्टेड सर्जरी (FLACS) – व्यापक रूप से अपनाई जाती हैं। इन दोनों तरीकों ने लाखों लोगों की खोई हुई दृष्टि को वापस लाने में मदद की है। सही सर्जरी का चयन करना मरीज के स्वास्थ्य, बजट और आवश्यकता के अनुसार जरूरी होता है।
मोतियाबिंद सर्जरी के प्रकार
पारंपरिक फेको सर्जरी (Phacoemulsification)
फेको सर्जरी एक ऐसी तकनीक है जिसमें अल्ट्रासोनिक वाइब्रेशन के माध्यम से प्राकृतिक लेंस को टुकड़ों में तोड़कर बाहर निकाला जाता है और उसकी जगह पर आईओएल (IOL) लगाया जाता है। यह प्रक्रिया छोटे चीरे से की जाती है, जिससे टांका नहीं लगता और रिकवरी जल्दी होती है। सबसे सामान्य और विश्वसनीय मोतियाबिंद सर्जरी के प्रकार में से एक है। कम लागत और बेहतर परिणाम की वजह से भारत में व्यापक रूप से अपनाई जाती है।
फेम्टो लेज़र असिस्टेड कैटरैक्ट सर्जरी (FLACS – Femtosecond Laser Assisted Cataract Surgery)
इस प्रक्रिया में फेम्टोसेकंड लेज़र सर्जरी की सहायता से कॉर्निया में सटीक चीरा और लेंस की फ्रैगमेंटेशन की जाती है। यह कंप्यूटर-निर्देशित सर्जरी है जो सटीकता और कम मानवीय हस्तक्षेप के लिए जानी जाती है। लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी विशेष रूप से जटिल मामलों या संवेदनशील आंखों के लिए उपयुक्त होती है।
फेको सर्जरी क्या है?
फेको सर्जरी, जिसे फेको नेत्र ऑपरेशन भी कहते हैं, आज के समय की एक बेहद आधुनिक और भरोसेमंद तकनीक है। इस प्रक्रिया में आंख के अंदर मौजूद धुंधले लेंस को अल्ट्रासोनिक कंपन (वाइब्रेशन) की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है। फिर एक बेहद छोटा चीरा लगाकर उन टुकड़ों को बाहर निकाला जाता है और उसकी जगह एक नया कृत्रिम लेंस (आईओएल) लगाया जाता है। इस सर्जरी की खास बात यह है कि इसमें टांके नहीं लगते, दर्द बहुत कम होता है और मरीज बहुत ही जल्दी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में वापस लौट सकता है। भारत में यह तरीका अब सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला और भरोसेमंद ऑपरेशन माना जाता है।
लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी क्या है?
लेज़र सर्जरी, जिसे फेम्टोसेकंड लेज़र सर्जरी भी कहते हैं, मोतियाबिंद का एक और भी आधुनिक इलाज है। इसमें इंसान के हाथ की बजाय एक ख़ास तरह के कंप्यूटर-नियंत्रित लेज़र का इस्तेमाल होता है। यह लेज़र कॉर्निया में बिल्कुल सटीक कट लगाता है। साथ ही, यह लेज़र मोतियाबिंद को छोटे टुकड़ों में भी तोड़ता है, जिससे उसे निकालना आसान हो जाता है। इस सर्जरी में बहुत ज़्यादा सटीकता होती है, जिससे गलती की संभावना कम हो जाती है।
तुलना: फेको बनाम लेज़र सर्जरी
फेको सर्जरी एक अत्यंत लोकप्रिय और विश्वसनीय तकनीक है जिसमें अल्ट्रासोनिक उपकरण से मोतियाबिंद को हटाया जाता है। इसमें चीरा मैनुअली लगाया जाता है और रिकवरी सामान्यतः तेज होती है। यह सर्जरी लागत के लिहाज़ से किफायती है और सामान्य मोतियाबिंद के मामलों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। दृष्टि का परिणाम भी आमतौर पर बेहतरीन रहता है।
लेज़र सर्जरी, जिसे फेम्टोसेकंड लेज़र सर्जरी भी कहा जाता है, एक और अधिक आधुनिक तकनीक है जिसमें चीरा लेज़र द्वारा बेहद सटीक तरीके से लगाया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह कम्प्यूटर-गाइडेड होती है जिससे सटीकता अधिक और त्रुटियाँ न्यूनतम होती हैं। इसकी रिकवरी फेको सर्जरी से भी तेज हो सकती है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी है जिनकी आंखों की स्थिति अधिक जटिल है। हालांकि, इसकी लागत थोड़ी अधिक होती है, लेकिन दृष्टि की गुणवत्ता कभी-कभी और भी बेहतर देखी जाती है।
अंततः, फेको और लेज़र सर्जरी दोनों ही प्रभावी हैं, और इनमें से किसी एक का चयन मरीज की आंखों की स्थिति, चिकित्सक की सलाह और बजट पर निर्भर करता है।
कौन-सी तकनीक आपके लिए बेहतर है?
मोतियाबिंद ऑपरेशन कौन सा अच्छा है, यह आपकी आंखों की स्थिति, उम्र, लेंस की कठोरता, और बजट पर निर्भर करता है।
- सामान्य मामलों में फेको सर्जरी एक बेहतर विकल्प होती है।
- अधिक जटिल या सटीकता की मांग वाले मामलों में लेज़र कैटरैक्ट सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है।
- आंखों की लेज़र सर्जरी अब नई तकनीकों से और अधिक विश्वसनीय हो चुकी है।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपयुक्त तकनीक का चुनाव करें।
निष्कर्ष
मोतियाबिंद सर्जरी के लिए फेको और लेज़र दोनों ही आधुनिक व सफल तकनीकें हैं। बजट और बेहतरीन परिणाम चाहने वालों के लिए फेको सर्जरी उपयुक्त है, जबकि अधिक सटीकता और न्यूनतम हस्तक्षेप की चाह रखने वालों के लिए लेज़र सर्जरी बेहतर विकल्प है। सही निर्णय के लिए दोनों विधियों की विशेषताओं को समझना जरूरी है।
FAQs
फेको यानी फेकोइमल्सिफिकेशन तकनीक में अल्ट्रासाउंड से मोतियाबिंद को तोड़कर निकाल दिया जाता है और आंख में एक कृत्रिम लेंस डाल दिया जाता है। इसमें बहुत छोटा चीरा होता है और सिलाई की ज़रूरत नहीं पड़ती।
इसमें लेज़र की मदद से बिना ब्लेड के सटीक कट बनाया जाता है और मोतियाबिंद को नर्म करके आसानी से हटाया जाता है। ये पूरी प्रक्रिया कंप्यूटर कंट्रोल से होती है।
लेज़र तकनीक थोड़ी ज़्यादा एडवांस होती है और कुछ मामलों में ज्यादा सटीक मानी जाती है, लेकिन फेको भी बेहद सफल और सुरक्षित तकनीक है।
हां, लेज़र सर्जरी पूरी तरह दर्द रहित होती है क्योंकि इसमें ब्लेड नहीं चलता और ना ही टांके लगते हैं।
दोनों सर्जरी से नजर जल्दी लौटती है, लेकिन लेज़र से सूजन कम होती है, इसलिए कुछ मामलों में रिकवरी थोड़ी तेज हो सकती है।
हां, लेज़र सर्जरी ज़्यादा सटीक होने की वजह से इसमें गलती या दिक्कत की संभावना कम हो जाती है।
लेज़र सर्जरी की कीमत फेको से ज्यादा होती है क्योंकि इसमें उन्नत मशीनें और टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होती हैं।
नहीं, हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं होती। कुछ मामलों में फेको ही सही रहता है — ये डॉक्टर की जांच पर निर्भर करता है।
अगर मोनोफोकल लेंस डला है तो पास के लिए चश्मा लगाना पड़ सकता है, लेकिन मल्टीफोकल लेंस से इसकी जरूरत कम होती है।
दोनों से नजर जल्दी ठीक होती है, लेकिन कुछ लोगों में लेज़र सर्जरी से विज़न थोड़ा जल्दी क्लियर हो जाता है।