भूमिका
हाइपरोपिया (Hyperopia), जिसे आम भाषा में “दूर दृष्टि दोष” कहा जाता है, एक सामान्य नेत्र समस्या है जिसमें पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं जबकि दूर की वस्तुएं सामान्य लगती हैं। यह स्थिति जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, खासकर पढ़ाई, मोबाइल/कंप्यूटर स्क्रीन का उपयोग और सूक्ष्म कार्यों में। आज के युग में जहां स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, हाइपरोपिया के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। हालांकि चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस इससे राहत दे सकते हैं, परंतु लेसिक सर्जरी (LASIK Surgery) एक स्थायी समाधान के रूप में उभर कर आई है।
हाइपरोपिया के लक्षण
हाइपरोपिया में पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं, पढ़ते समय आंखों में खिंचाव या दर्द महसूस होता है और बार-बार सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक पढ़ने या स्क्रीन देखने पर आंखों में थकान महसूस होती है। बच्चों में यह दोष देर से पहचाना जाता है, जिससे पढ़ाई में रुचि की कमी दिख सकती है। हाइपरोपिया के लक्षण कभी-कभी अन्य नेत्र समस्याओं से मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए सही जांच आवश्यक है।
हाइपरोपिया के कारण
हाइपरोपिया मुख्य रूप से आंख की बनावट में असामान्यता के कारण होता है। जब आंख का आकार सामान्य से छोटा होता है या कॉर्निया बहुत फ्लैट होता है, तब यह समस्या उत्पन्न होती है। लेंस में पर्याप्त वक्रता की कमी और वंशानुगत कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ आंखों में होने वाले बदलाव भी इस स्थिति को जन्म दे सकते हैं। यह दोष धीरे-धीरे बढ़ सकता है या जन्म से ही मौजूद रह सकता है।
हाइपरोपिया का इलाज
● चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस
इस समस्या के इलाज के दो मुख्य विकल्प होते हैं। पहला, चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस, जो दृष्टि को अस्थायी रूप से सुधारते हैं और जिन्हें नियमित रूप से पहनने की आवश्यकता होती है। बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह प्राथमिक विकल्प होता है।
● लेसिक सर्जरी (LASIK)
दूसरा विकल्प है लेसिक सर्जरी, जो हाइपरोपिया का स्थायी समाधान माना जाता है। इसमें लेजर की मदद से कॉर्निया को पुनः आकार देकर फोकस सुधारा जाता है। जिन लोगों को चश्मा या लेंस से परेशानी होती है, उनके लिए यह प्रक्रिया उपयुक्त हो सकती है। हालांकि सर्जरी के पहले नेत्र परीक्षण अनिवार्य होते हैं।
लेसिक सर्जरी क्या है?
LASIK यानी Laser-Assisted In Situ Keratomileusis एक दृष्टि सुधार प्रक्रिया है जिसमें कॉर्निया की सतही परत को हटाकर लेज़र की मदद से उसका आकार बदला जाता है। इससे रेटिना पर सही फोकस बनता है और देखने की क्षमता में सुधार आता है। यह प्रक्रिया लगभग 15-20 मिनट की होती है और सर्जरी के तुरंत बाद ही सुधार दिखने लगता है। यह तकनीक न केवल हाइपरोपिया बल्कि मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) और एस्टिग्मैटिज्म के लिए भी प्रभावी मानी जाती है।
क्या लेसिक सर्जरी से हाइपरोपिया ठीक हो सकता है?
हल्के से मध्यम हाइपरोपिया में LASIK अत्यंत प्रभावी होता है। हालांकि यदि हाइपरोपिया की डिग्री बहुत अधिक हो, तो इसके परिणाम सीमित हो सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि सर्जरी से पहले आंख की मोटाई और उसकी स्थिति की जांच की जाए। प्री-सर्जिकल स्क्रीनिंग इस प्रक्रिया की सफलता के लिए आवश्यक होती है। सही परिणामों के लिए नेत्र विशेषज्ञ की सलाह अत्यंत जरूरी है।
किन लोगों को LASIK नहीं कराना चाहिए?
जिन लोगों की आंखों की कमजोरी अत्यधिक है, कॉर्निया की मोटाई बहुत कम है, या जिन्हें सूखी आंख की गंभीर स्थिति है, उन्हें लेसिक सर्जरी नहीं करानी चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाएं, हार्मोनल बदलाव के दौर से गुजर रहे लोग और ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी यह सर्जरी टालनी चाहिए। इसलिए जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक है।
सर्जरी के बाद रिकवरी और परिणाम
लेसिक सर्जरी के बाद रिकवरी बहुत तेज होती है। आमतौर पर पहले ही दिन से दृष्टि में सुधार दिखाई देने लगता है और तीन से पांच दिनों के भीतर सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू की जा सकती हैं। एक हफ्ते में दृष्टि में अच्छी स्थिरता आ जाती है। हल्की जलन, खुजली या धुंधलापन सामान्य माने जाते हैं, जो कुछ दिनों में स्वतः समाप्त हो जाते हैं। डॉक्टर द्वारा दी गई आई ड्रॉप्स और सावधानियों का पालन करना इस रिकवरी को आसान बनाता है।
निष्कर्ष
हाइपरोपिया का इलाज अब केवल चश्मे तक सीमित नहीं रह गया है। LASIK जैसी उन्नत तकनीक ने इसे स्थायी रूप से सुधारना संभव बना दिया है। हालांकि यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता, लेकिन सही मरीजों में इसके परिणाम बेहद प्रभावशाली होते हैं। यदि आप पास की दृष्टि में लगातार समस्या का अनुभव कर रहे हैं, तो नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें और यह जांचें कि क्या लेसिक सर्जरी आपके लिए उपयुक्त है।
FAQs
हाइपरोपिया में नजदीक की चीजें धुंधली दिखती हैं और दूर की चीजें साफ दिखती हैं। यह जन्मजात हो सकता है या आंख के आकार में गड़बड़ी के कारण हो सकता है।
लेसिक सर्जरी ज्यादातर हाइपरोपिया मामलों में असरदार होती है, लेकिन बहुत ज्यादा नंबर होने या कुछ आंखों की स्थितियों में यह उपयुक्त नहीं होती बल्कि डॉक्टर की जांच जरूरी है।
18 साल के बाद जब आंख का नंबर स्थिर हो जाए, तब LASIK सर्जरी कराना सबसे सही माना जाता है।
हां, अगर आंख का नंबर स्थिर है तो LASIK सर्जरी से नजर स्थायी रूप से सही हो सकती है, लेकिन उम्र बढ़ने पर कभी-कभी चश्मे की जरूरत फिर भी पड़ सकती है।
कुछ मामलों में उम्र या आंखों में बदलाव की वजह से कुछ सालों बाद हल्के चश्मे की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन आमतौर पर नजर काफी बेहतर रहती है।
जी हां, चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस, फोटोरिफ्रैक्टिव केराटेक्टॉमी (PRK) और ICL जैसे अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं और सबकी अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं।
LASIK की लागत लगभग ₹30,000 से ₹1,00,000 तक हो सकती है, जो क्लिनिक, मशीन और डॉक्टर के अनुभव पर निर्भर करती है।
धूल, धुएं से बचें, आंखों को मसलें नहीं, आई ड्रॉप समय पर डालें और 1 हफ्ते तक स्क्रीन, मेकअप और तैराकी से दूरी बनाएं।