विषयसूची
- मोतियाबिंद क्या होता है और कब ज़रूरी होती है सर्जरी?
- पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी: इतिहास और सीमाएं
- फेको सर्जरी (Phacoemulsification): सबसे प्रचलित आधुनिक तकनीक
- लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी: और भी उन्नत विकल्प
- फेको बनाम लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी: तुलना
- कौन-सी तकनीक आपके लिए उपयुक्त है?
- सर्जरी के बाद देखभाल
- निष्कर्ष
- प्रश्नोत्तर
आँखें हमारी जीवन की सबसे कीमती धरोहर में से एक हैं।। समय के साथ या विभिन्न कारणों से आंख के लेंस में बदलाव होने लगता है, जिससे वह धुंधला होने लगता है। इसे मोतियाबिंद कहा जाता है। मोतियाबिंद धीरे-धीरे दृष्टि को प्रभावित करता है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो रोजमर्रा की गतिविधियों में भी परेशानी होने लगती है।
आज के समय में मोतियाबिंद ऑपरेशन के प्रकार काफी विकसित हो गए हैं। पारंपरिक मैनुअल सर्जरी से लेकर आधुनिक फेको सर्जरी और फेम्टो लेज़र सर्जरी तकनीक तक विकल्प मौजूद हैं। सही तकनीक का चुनाव मरीज की उम्र, आंखों की बनावट, सह-बीमारियाँ और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।
मोतियाबिंद क्या होता है और कब ज़रूरी होती है सर्जरी?
मोतियाबिंद आंख के लेंस का धुंधला होना है। लेंस की पारदर्शिता कम होने के कारण देखने में धुंधलापन आता है। शुरुआत में यह हल्का होता है, जिसे चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस से सुधारा जा सकता है। लेकिन जैसे-जैसे लेंस अधिक धुंधला होता है, रोजमर्रा की गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
मोतियाबिंद की सामान्य पहचान
- दृष्टि धुंधली होना, खासकर पढ़ते या लिखते समय
- रात में रोशनी या हेडलाइट्स से चुभन
- रंग फीके लगना और वस्तुएँ अस्पष्ट दिखना
- आंख जल्दी थकना, कभी-कभी सिरदर्द
उदाहरण: अगर आप पहले पढ़ाई या मोबाइल पर बिना चश्मे आराम से देख पाते थे, लेकिन अब हर शब्द को स्पष्ट देखने के लिए आंखों को बहुत झुकाना पड़ता है, तो यह मोतियाबिंद का शुरुआती संकेत हो सकता है।
कब सर्जरी का निर्णय लेना चाहिए
शुरुआती चरण में दृष्टि पर असर कम होता है। लेकिन जब यह पढ़ाई, कामकाज, ड्राइविंग या अन्य दैनिक कार्यों में बाधा डालने लगे, तब सर्जरी का निर्णय लेना सही होता है।
- डॉक्टर ऑपरेशन से पहले आंख की पूरी जांच करते हैं।
- रेटिना, दृष्टि तंत्रिका और अन्य संरचनाओं की स्थिति देखी जाती है।
- इससे यह सुनिश्चित होता है कि ऑपरेशन सुरक्षित और प्रभावी होगा।
पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी: इतिहास और सीमाएं
आज के समय में मरीजों के लिए मोतियाबिंद सर्जरी के प्रकार काफी विकसित हो गए हैं, जिनमें पारंपरिक सर्जरी, फेको और लेज़र तकनीक शामिल हैं। पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी को मैनुअल सर्जरी (ECCE: Extra Capsular Cataract Extraction) भी कहा जाता है। इस तकनीक में आंख में बड़ा चीरा किया जाता है और लेंस निकालने के बाद टांके लगाए जाते हैं।
पारंपरिक सर्जरी की विशेषताएँ
- बड़ा चीरा और टांके की आवश्यकता
- रिकवरी धीमी, लगभग 4–6 सप्ताह
- आंख पर अधिक दबाव, संक्रमण और सूजन का खतरा
- सीमित उपयोग, खासकर जटिल मामलों में
फेको सर्जरी (Phacoemulsification): सबसे प्रचलित आधुनिक तकनीक
फेको सर्जरी आज सबसे आम और विश्वसनीय तकनीक बन गई है। इसमें अल्ट्रासोनिक तरंगों से लेंस को छोटे टुकड़ों में तोड़कर बाहर निकाला जाता है।
फेको सर्जरी की प्रक्रिया
- आंख में लगभग 2–3 मिमी का माइक्रो चीरा बनाया जाता है।
- अल्ट्रासोनिक तरंगों से लेंस को तोड़ा और बाहर निकाला जाता है।
- इंट्राओक्युलर लेंस (IOL) डालकर चीरे को बंद किया जाता है।
- टांके की जरूरत नहीं होती, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है।
फेको सर्जरी के लाभ
- छोटा चीरा और टांका रहित
- कम जटिलताएं और तेज़ रिकवरी (1–2 हफ्ते में दैनिक काम संभव)
- स्थायी दृष्टि सुधार
- अधिकांश मरीजों में उच्च संतोष
फेको सर्जरी ने पारंपरिक सर्जरी की तुलना में दृष्टि सुधार की गति और सफलता दर दोनों में सुधार किया है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जिनकी आंखों की संरचना सामान्य है और कोई गंभीर जटिलता नहीं है।
लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी: और भी उन्नत विकल्प
लेज़र तकनीक ने मोतियाबिंद सर्जरी में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। फेम्टोसेकंड लेज़र तकनीक का उपयोग करके ऑपरेशन को और सुरक्षित, सटीक और तेज़ बनाया गया है।
लेज़र सर्जरी की प्रक्रिया
- आंख पर लेज़र फोकस किया जाता है, जिससे लेंस के आसपास का टिशू और मोतियाबिंद का धुंधला हिस्सा काटा जाता है।
- लेंस को छोटे टुकड़ों में विभाजित किया जाता है और बाहर निकाला जाता है।
- इंट्राओक्युलर लेंस (IOL) डाला जाता है।
लेज़र सर्जरी के लाभ
- ब्लेड-फ्री तकनीक, जिससे चीरे और संक्रमण का खतरा न्यूनतम
- अत्यधिक सटीकता, जिससे दृष्टि सुधार और अधिक बेहतर
- कम जोखिम और तेज़ रिकवरी
- जटिल मामलों में भी सुरक्षित, जैसे उच्च डायबिटीज या ग्लूकोमा वाले मरीज
उदाहरण: एक मरीज जिसकी आंख में सामान्य फेको सर्जरी करना कठिन था, उसके लिए Femto Cataract Surgery ने ऑपरेशन को सुरक्षित और सरल बना दिया।
फेको बनाम लेज़र मोतियाबिंद सर्जरी: तुलना
आज के समय में मरीज अक्सर पूछते हैं कि “लेज़र बनाम पारंपरिक सर्जरी” में कौन सा विकल्प बेहतर है। दोनों तकनीकें सुरक्षित हैं, लेकिन उनकी प्रक्रिया, रिकवरी समय, लागत और सटीकता अलग होती है।
| विशेषता | फेको सर्जरी | लेज़र सर्जरी |
| चीरा | माइक्रो (~2-3 मिमी) | ब्लेड-फ्री |
| रिकवरी | तेज़ (1–2 हफ्ते) | तेज़ और अधिक सुरक्षित |
| कीमत | किफायती | थोड़ी अधिक |
| सटीकता | मानक | अत्याधुनिक |
| जटिल मामले | सामान्य | सुरक्षित |
दोनों तकनीकें सुरक्षित और प्रभावी हैं, लेकिन मरीज की उम्र, आंख की बनावट और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर तकनीक का चुनाव किया जाता है।
कौन-सी तकनीक आपके लिए उपयुक्त है?
उम्र, आंखों की बनावट, अन्य रोग (जैसे डायबिटीज या ग्लूकोमा) तकनीक चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- सामान्य स्थिति: फेको सर्जरी पर्याप्त
- जटिल मामले: लेज़र सर्जरी अधिक सुरक्षित
- डॉक्टर की सलाह: ऑपरेशन से पहले विस्तृत जांच और सलाह जरूरी
- प्री-सर्जरी स्क्रीनिंग: रेटिना, दृष्टि तंत्रिका और आंख की मोटाई जांचना
उदाहरण: यदि किसी मरीज की आंख लंबी है या रेटिना कमजोर है, तो लेज़र सर्जरी सुरक्षित विकल्प हो सकता है। वहीं, सामान्य मरीजों के लिए फेको सर्जरी सुविधाजनक और किफायती विकल्प है।
सर्जरी के बाद देखभाल
मोतियाबिंद सर्जरी के बाद सही देखभाल बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे दृष्टि सुरक्षित रहती है और रिकवरी तेज़ होती है। निर्धारित दवाओं का समय पर उपयोग करें, चाहे वह एंटीबायोटिक ड्रॉप्स हों या सूजन कम करने वाली दवाएं, ताकि संक्रमण का खतरा कम रहे। आंख को मलने या दबाने से बचें और सर्जरी के तुरंत बाद हल्की रोशनी में पढ़ाई या मोबाइल का इस्तेमाल धीरे-धीरे शुरू करें।
डॉक्टर द्वारा सुझाए गए फॉलो-अप चेकअप में नियमित भाग लें और किसी भी असामान्य लालिमा, जलन, दर्द या धुंधलापन पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। हल्की गतिविधियों से शुरुआत करें और धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौटें, जैसे घर का हल्का काम या छोटी सैर। धूल, धुआँ और प्रदूषण से आंख को दूर रखें और आंखों पर जोर न डालें।
इन सावधानियों का पालन करने से ऑपरेशन का परिणाम बेहतर रहेगा, दृष्टि स्थायी रूप से सुधरेगी और संक्रमण या जटिलताओं का खतरा कम होगा।
निष्कर्ष
आधुनिक तकनीकों ने मोतियाबिंद सर्जरी को पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित, तेज़ और प्रभावशाली बना दिया है।
- सही विकल्प चुनना आपकी आंखों की स्थिति और डॉक्टर की राय पर निर्भर करता है।
- समय पर निदान और सावधानीपूर्वक ऑपरेशन दृष्टि बचा सकता है।
- फेको सर्जरी और लेज़र सर्जरी दोनों में मरीज की सुविधा और रिकवरी का ध्यान रखा जाता है।



