भेंगापन (स्क्विंट) के प्रकार और इलाज के आधुनिक विकल्प: जानिए संरेखण सुधार की पूरी जानकारी

भेंगापन (स्क्विंट) के प्रकार और इलाज के आधुनिक विकल्प

भेंगापन, जिसे स्क्विंट या स्ट्रैबिस्मस भी कहते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें दोनों आँखें एक ही दिशा में संरेखित नहीं हो पातीं। यह समस्या आँखों की मांसपेशियों के असंतुलन के कारण होती है, जिससे एक आँख सीधी देखती है जबकि दूसरी आँख अंदर, बाहर, ऊपर या नीचे की ओर मुड़ जाती है। यह न केवल दृष्टि को प्रभावित करता है बल्कि व्यक्ति के आत्मविश्वास को भी कम कर सकता है। समय पर सही पहचान और इलाज से भेंगापन को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इस लेख में हम भेंगापन के प्रकार, कारणों और आधुनिक इलाज के विकल्पों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भेंगापन के प्रकार

1. एसोट्रोपिया (Esotropia)

  • इसमें एक या दोनों आँखें अंदर की ओर (नाक की तरफ) मुड़ जाती हैं।
  • यह अक्सर बचपन में शुरू होता है।
  • मुख्यतः दूर दृष्टि (Hyperopia) के कारण होता है।
  • यदि समय पर इलाज न हो तो एक आँख कमजोर हो सकती है।

2. एक्सोट्रोपिया (Exotropia)

  • इसमें आँख बाहर की ओर (कान की तरफ) मुड़ती है।
  • यह सामान्यतः थकावट या ध्यान हटने पर ज़्यादा दिखता है।
  • धीरे-धीरे बढ़ता है और बिना इलाज के एक आँख की दृष्टि कमजोर हो सकती है।

3. हाइपरट्रोपिया / हाइपोट्रोपिया

  • यह ऊर्ध्व दिशा में होने वाला भेंगापन है।
  • हाइपरट्रोपिया: आँख ऊपर की ओर झुकी होती है।
  • हाइपोट्रोपिया: आँख नीचे की ओर झुकी होती है।

ये आमतौर पर नसों या मांसपेशियों की कमजोरी के कारण होते हैं और डबल विजन जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं।

इंटरमिटेंट और कंसटेंट स्क्विंट

इंटरमिटेंट स्क्विंट वह स्थिति है जब आँखों का झुकाव या दिशा-विचलन हर समय नहीं, बल्कि कभी-कभार दिखता है। यह आमतौर पर तब अधिक स्पष्ट होता है जब बच्चा थका हुआ होता है, तनाव में होता है या दूर की चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करता है। शुरू में यह हल्का लग सकता है, लेकिन यदि समय रहते पहचान और इलाज न हो, तो यह धीरे-धीरे बढ़कर स्थायी (कंसटेंट) रूप ले सकता है।

कंसटेंट स्क्विंट, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, वह स्थिति है जिसमें एक या दोनों आँखें हर समय झुकी रहती हैं।
चाहे बच्चा आराम कर रहा हो या किसी चीज़ को ध्यान से देख रहा हो। यह अधिक गंभीर माना जाता है क्योंकि इससे आँख की मांसपेशियों की असंतुलित कार्यप्रणाली और एक आँख की दृष्टि में स्थायी कमजोरी (lazy eye) हो सकती है।

पैरालिटिक स्ट्रैबिस्मस

यह भेंगापन नसों की कमजोरी या लकवा के कारण होता है, जो आंखों को हिलाने वाली मांसपेशियों को कंट्रोल करती हैं। जब कोई नस ठीक से काम नहीं करती, तो आंख उस दिशा में नहीं घूम पाती और व्यक्ति को डबल दिखाई देने लगता है।

  • ये परेशानी अक्सर सिर की चोट, स्ट्रोक, शुगर या ब्लड प्रेशर से हो सकती है।
  • इसमें व्यक्ति सिर को तिरछा करके देखता है ताकि दोहरी छवि कम लगे।
  • इलाज कारण पर निर्भर करता है, जैसे दवा, चश्मा या ज़रूरत होने पर सर्जरी।
  • यह समस्या बच्चों से ज़्यादा बड़ों में पाई जाती है।

भेंगापन के कारण

भेंगापन (strabismus) होने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जो आंखों की मांसपेशियों, नसों या दृष्टि से जुड़ी होती हैं। सबसे आम कारणों में से एक है आंखों की मांसपेशियों में संतुलन की कमी, जिससे दोनों आंखें एक साथ एक दिशा में नहीं देख पातीं।

कई बार भेंगापन जन्म से ही मौजूद होता है, जिसे जन्मजात भेंगापन कहा जाता है। इसके अलावा, कुछ मामलों में नसों की समस्या (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) भी आंखों के नियंत्रण में गड़बड़ी पैदा कर सकती है।

जब दोनों आंखों की रोशनी में फर्क होता है, जैसे एक आंख साफ देखती है और दूसरी धुंधली, तब भी भेंगापन विकसित हो सकता है। इसके अलावा, परिवार में अगर पहले किसी को भेंगापन रहा हो, तो यह समस्या बच्चों में भी आने की संभावना बढ़ जाती है।

इन सभी कारणों को समझकर समय पर इलाज किया जाए, तो भेंगापन को सुधारा जा सकता है।

बच्चों में भेंगापन के लक्षण

स्ट्रैबिस्मस (भेंगापन) के लक्षणों में सबसे प्रमुख है। दोनों आंखों का एक साथ एक दिशा में न देख पाना। अक्सर एक आंख सीधी रहती है जबकि दूसरी आंख अंदर, बाहर, ऊपर या नीचे मुड़ जाती है। इसके साथ ही दोहरी दृष्टि, आंखों में थकान, गहराई का सही अनुमान न लगा पाना और बच्चों में सिर को झुकाकर देखने की आदत जैसे लक्षण भी देखे जा सकते।

भेंगापन (Strabismus) के लक्षण छोटे बच्चों में अक्सर धीरे-धीरे दिखते हैं, लेकिन अगर ध्यान दिया जाए तो उन्हें जल्दी पहचाना जा सकता है।

सबसे आम लक्षण यह होता है कि बच्चा बार-बार एक ही आंख से चीजें देखने की कोशिश करता है, जबकि दूसरी आंख की दिशा अलग हो जाती है। कुछ बच्चे सिर को एक ओर झुकाकर या मोड़कर चीजों को देखने लगते हैं, यह तरीका वे डबल विजन से बचने के लिए अपनाते हैं।

जब बच्चा पढ़ रहा हो या खेल रहा हो, उस समय उसकी आंखें असामान्य दिशा में जाती हुई दिखाई दे सकती हैं। इसके अलावा, कुछ बच्चों को किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने यानी फोकस करने में परेशानी होती है, जैसे कि पास की वस्तुओं को ठीक से देखना या पढ़ने में कठिनाई होना।

अगर इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच कराना ज़रूरी है, ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके और आंख की कमजोरी से बचा जा सके।

भेंगापन की जांच कैसे की जाती है?

लाइट रिफ्लेक्शन टेस्ट

डॉक्टर एक टॉर्च की रोशनी आँखों पर डालते हैं और देखते हैं कि रौशनी दोनों आँखों की पुतलियों पर एक जैसी पड़ रही है या नहीं। अगर एक आँख में रौशनी टेढ़ी दिखे, तो भेंगापन हो सकता है।

कवर-अनकवर टेस्ट

डॉक्टर पहले एक आँख को ढकते हैं और दूसरी आँख की हरकत देखते हैं। फिर ढकी हुई आँख को खोलते हैं। अगर कोई आँख इधर-उधर हिलती है तो पता चलता है कि दोनों आँखों का संतुलन नहीं है।

दृष्टि और मांसपेशियों की जांच

इसमें देखा जाता है कि आँखें कितना साफ देख पाती हैं, पास और दूर की चीज़ों पर कितना फोकस कर पाती हैं और आँखों की मांसपेशियाँ सही काम कर रही हैं या नहीं।

भेंगापन का इलाज: आधुनिक विकल्प

भेंगापन, जिसे स्क्विंट या स्ट्रैबिस्मस भी कहा जाता है, आंखों की स्थिति से जुड़ी एक आम समस्या है जिसमें दोनों आंखें एक दिशा में नहीं देखतीं। यह न केवल देखने की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि आत्मविश्वास पर भी असर डालता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसके कई प्रभावी और सुरक्षित इलाज उपलब्ध हैं।

चश्मे और प्रिज़्म लेंस

भेंगापन के हल्के मामलों में चश्मे से काफी मदद मिल सकती है, खासकर जब समस्या आंखों की रोशनी में अंतर के कारण हो। कुछ मामलों में प्रिज़्म लेंस का उपयोग किया जाता है, जो रोशनी की दिशा को मोड़कर आंखों को एक साथ देखने में मदद करते हैं। इससे डबल विजन (दोहरी छवि) में राहत मिलती है और आंखों का संतुलन बेहतर होता है।

ये लेंस खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी होते हैं जिनमें भेंगापन स्थायी नहीं है या जिनका कारण न्यूरोलॉजिकल हो सकता है। प्रिज़्म लेंस का इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह से ही किया जाना चाहिए, क्योंकि हर मामले में यह उपयुक्त नहीं होता।

विज़न थेरेपी

विज़न थेरेपी एक तरह की आंखों की एक्सरसाइज होती है, जिसमें फोकस और नेत्र समन्वय को सुधारने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से कांर्जेंस इन्सफिशियन्सी (जब आंखें पास की वस्तु पर फोकस करने में असमर्थ होती हैं) जैसे मामलों में काफी उपयोगी पाई गई है। हालांकि, इसकी प्रभावशीलता केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही सिद्ध हुई है, और यह हर प्रकार के भेंगापन में कारगर नहीं होती।

बोटॉक्स इंजेक्शन

बोटॉक्स इंजेक्शन का उपयोग आँखों की मांसपेशियों को अस्थायी रूप से ढीला या शांत करने के लिए किया जाता है। इससे आँख की खिंची हुई मांसपेशी थोड़ी समय के लिए ढीली हो जाती है और आँखें सीधे दिखने लगती हैं। यह तरीका खासकर तब इस्तेमाल होता है जब भेंगापन हल्का हो या सर्जरी की ज़रूरत न हो। असर कुछ महीनों तक रहता है।

स्क्विंट सर्जरी

इस सर्जरी में आँखों की मांसपेशियों को इस तरह से ढीला या कस दिया जाता है कि दोनों आँखें एक सीध में आ जाएं। डॉक्टर आँखों की मांसपेशियों को थोड़ा काटकर या खिसकाकर उनका संतुलन ठीक करते हैं। यह तरीका तब अपनाया जाता है जब भेंगापन ज़्यादा हो या बाकी उपायों से फर्क न पड़े। सर्जरी से देखने की दिशा सीधी हो जाती है और आँखों का समन्वय बेहतर होता है।

सर्जरी के बाद की देखभाल

हल्की सूजन और जलन सामान्य है:

ऑपरेशन के बाद आँखों में थोड़ी सूजन, जलन या लालिमा हो सकती है, जो कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है।

नियमित फॉलो‑अप ज़रूरी:

डॉक्टर से तय समय पर मिलते रहना ज़रूरी है ताकि आँखों की मांसपेशियों और दृष्टि की स्थिति ठीक से जांची जा सके।

विजन थेरेपी की सलाह:

सर्जरी के बाद डॉक्टर कुछ विशेष आँखों की एक्सरसाइज़ या थेरेपी दे सकते हैं, जिससे मस्तिष्क को आँखों की नई स्थिति के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलती है। यह साफ देखने और दोनों आँखों से समन्वय बढ़ाने में सहायक होती है।

निष्कर्ष

भेंगापन पूरी तरह इलाज़‑योग्य है। जितनी जल्दी इसकी पहचान हो जाए, उतना ही इलाज आसान और असरदार रहता है; खासकर बच्चों में समय पर सही जाँच और उपचार से उनकी आँखें सीधी हो जाती हैं, दृष्टि विकास सुचारु रहता है और आगे की जटिलताओं से बचाव हो जाता है।

FAQs

भेंगापन और स्ट्रैबिस्मस में क्या अंतर है?

कोई अंतर नहीं है। भेंगापन आम बोलचाल की भाषा है, जबकि स्ट्रैबिस्मस (Strabismus) इसका चिकित्सा विज्ञान में उपयोग होने वाला नाम है। दोनों का मतलब है आँखों का एक साथ न देख पाना या एक दिशा में न होना।

क्या भेंगापन केवल बच्चों में होता है?

नहीं, भेंगापन किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि यह ज़्यादातर बच्चों में 6 महीने से 5 साल की उम्र के बीच दिखाई देता है, लेकिन यह किसी चोट, न्यूरोलॉजिकल समस्या या अन्य कारणों से बड़ों में भी हो सकता है।

स्क्विंट सर्जरी कितनी सुरक्षित है?

स्क्विंट सर्जरी आज के समय में एक सुरक्षित और कम जोखिम वाली प्रक्रिया मानी जाती है। अनुभवी नेत्र चिकित्सक द्वारा की गई सर्जरी से अच्छे और स्थायी परिणाम मिलते हैं, हालांकि किसी भी सर्जरी की तरह इसमें हल्की सूजन या जलन कुछ समय के लिए हो सकती है।

क्या चश्मा पहनने से भेंगापन ठीक हो सकता है?

अगर भेंगापन का कारण दृष्टि दोष (जैसे दूरदृष्टि) है, तो चश्मा पहनने से आँखें सीधी हो सकती हैं। यह खासकर बच्चों में प्रभावी होता है, लेकिन हर केस में चश्मा ही पर्याप्त नहीं होता — कभी-कभी एक्सरसाइज़ या सर्जरी भी जरूरी होती है।

विजन थेरेपी कैसे काम करती है?

विजन थेरेपी एक तरह की आंखों की एक्सरसाइज़ होती है, जिससे मस्तिष्क और दोनों आँखों के बीच तालमेल सुधरता है। यह इलाज विशेष रूप से बच्चों और हल्के भेंगापन के मामलों में कारगर होता है। इसे नेत्र विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाना चाहिए।

क्या भेंगापन समय के साथ खुद ठीक हो जाता है?

हर केस में नहीं। कुछ नवजात शिशुओं में हल्का भेंगापन शुरुआती महीनों में दिखता है और समय के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन अगर समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से जांच करवाना ज़रूरी होता है। अनदेखी करने पर यह स्थायी हो सकता है।

सर्जरी के बाद दोबारा भेंगापन हो सकता है क्या?

कभी-कभी हां, खासकर अगर आंखों की मांसपेशियाँ पूरी तरह संतुलित न हो पाएं या इलाज अधूरा रह जाए। इसलिए सर्जरी के बाद नियमित फॉलो‑अप, विजन थेरेपी और डॉक्टर की सलाह मानना बेहद जरूरी होता है।

बच्चों में भेंगापन कितनी उम्र में दिखना शुरू होता है?

अधिकतर मामलों में भेंगापन जन्म के कुछ महीनों बाद, यानी 6 महीने से 3 साल की उम्र के बीच दिखाई देता है। कुछ मामलों में यह स्कूल जाने की उम्र में सामने आता है, जब पढ़ाई या स्क्रीन देखने पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है।

क्या भेंगापन दिमाग से जुड़ा रोग है?

आँखें और दिमाग साथ मिलकर काम करते हैं, इसलिए भेंगापन कई बार मस्तिष्क के सिग्नलिंग सिस्टम से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है। विशेषकर सेरेब्रल पाल्सी, ब्रेन ट्यूमर या न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी वाले मामलों में यह देखने को मिलता है।

सर्जरी के लिए सही उम्र क्या है?

यदि डॉक्टर ज़रूरी समझें तो 1 साल की उम्र के बाद सर्जरी की जा सकती है। लेकिन आमतौर पर 3–6 साल की उम्र सबसे उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इस समय बच्चों की आँखें और मस्तिष्क तेजी से विकास कर रहे होते हैं। वयस्कों में भी सर्जरी सफल हो सकती है।

भेंगापन (स्क्विंट) के प्रकार और इलाज के आधुनिक विकल्प

भेंगापन (स्क्विंट) के प्रकार और इलाज के आधुनिक विकल्प: जानिए संरेखण सुधार की पूरी जानकारी