रोशनी की दिवाली में अंधकार से सावधान! आंखों की सुरक्षा पर दें ध्यान, पटाखों से चोटें बढ़ा रहीं खतरा

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Diwali 20025: मुरादाबाद: दिवाली खुशियों और उत्सव का प्रतीक है, पर हर साल इस त्योहार के दौरान आंखों से जुड़ीं दुर्घटनाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ जाती है। देशभर के अस्पतालों में पटाखों और धुएं के कारण आंखों में जलन, संक्रमण और चोटों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ जाती है। सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स ने लोगों से अपील की है कि वे इस दिवाली अपनी आंखों को सुरक्षित रखने के लिए सावधानी बरतें और छोटी सी असावधानी को बड़ी मुसीबत न बनने दें।

डॉ. महिपाल सिंह सचदेव का चेतावनी भरा संदेश

फॉर साइट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. महिपाल सिंह सचदेव ने बताया कि दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखे आंखों की चोटों का प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “रॉकेट, अनार और बम जैसे पटाखे जब चेहरे के पास फटते हैं तो वे कॉर्निया को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। उड़ते कण और धुएं से आंखों में जलन, लालिमा और खुजली जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।” बच्चों और आसपास खड़े लोगों के लिए यह खतरा और बढ़ जाता है। कई बार चश्मे का शीशा फटकर आंखों में चला जाता है, जिससे स्थायी दृष्टिहानि का जोखिम रहता है।

प्रदूषण बना आंखों का नया दुश्मन

पटाखों का असर केवल तुरंत नहीं होता, बल्कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ने से आंखों में सूखापन, एलर्जी और कंजंक्टिवाइटिस जैसी बीमारियां भी फैलती हैं। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें हवा में सूक्ष्म कणों को बढ़ा देती हैं। डॉ. सचदेव ने बताया कि जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं या हाल ही में आंखों की सर्जरी करवा चुके हैं, वे इस समय अधिक सावधान रहें, क्योंकि उनकी आंखें अत्यधिक संवेदनशील रहती हैं।

सुरक्षा सबसे जरूरी

डॉ. सचदेव ने कहा, “पटाखे जलाते समय पर्याप्त दूरी बनाए रखना, कॉन्टैक्ट लेंस न पहनना, और धुएं या कणों के संपर्क में आने पर आंखें न रगड़ना – ये कुछ अहम एहतियात हैं जो गंभीर चोटों से बचा सकती हैं।” उन्होंने सलाह दी कि अगर आंखों में जलन महसूस हो, तो तुरंत साफ पानी या सलाइन वॉश से आंखें धोई जानी चाहिए और आवश्यक होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्रदूषण से बचाव के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग और घर के अंदर रहना भी मददगार है।

बच्चों के लिए ज्यादा जिम्मेदारी जरूरी

बच्चों के लिए दिवाली एक उत्सव से ज्यादा उत्साह का प्रतीक होती है, लेकिन अक्सर वे लापरवाही का शिकार बन जाते हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि बच्चों को केवल हल्के स्पार्कलर ही जलाने दें, वह भी निगरानी में। सूती कपड़े पहनाना और खुले स्थान पर पटाखे जलाना अधिक सुरक्षित रहता है। माता-पिता को बच्चों को दूरी बनाए रखने और सुरक्षा के नियम सिखाने चाहिए ताकि किसी गंभीर हादसे से बचा जा सके।

इको-फ्रेंडली दिवाली और सुरक्षित नज़रों का संदेश

डॉ. सचदेव ने कहा कि “अगर हम इको-फ्रेंडली तरीके से, पारंपरिक दीयों और सजावट के साथ दिवाली मनाएं, तो यह आंखों की सुरक्षा के साथ पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि इस साल की दिवाली को “जिम्मेदारी की दिवाली” बनाएं – जहां रोशनी के साथ जागरूकता और सुरक्षा का भी प्रकाश फैले।

सेंटर फॉर साइट की शुभकामनाएं

अस्पताल की ओर से लोगों को संदेश दिया गया है कि आंखें सबसे अनमोल उपहार हैं। एक छोटी सी गलती भविष्य के अंधकार का कारण बन सकती है। इस दिवाली अपने परिवार और बच्चों के साथ जिम्मेदारी से त्योहार मनाएं, पटाखों से दूरी रखें, और अपनी नज़रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

Source: https://royalbulletin.in/

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