रंग दृष्टिहीनता (Color Blindness) का पता कैसे करें?

Wed Aug 16 2023

रंग दृष्टिहीनता जिसे वर्णांधता या आमतौर पर कलर ब्लाइंडनेस भी कहते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को कुछ रंगों के बीच भेद करने में परेशानी होती है। ये रंग सामान्यतः लाल, हरे और नीले होते हैं।

हालांकि, अधिकतर मामलों में कलर ब्लाइंडनेस अनुवांशिक होता है लेकिन, सिर या आँखों में चोट लग जाना, दवाइयों का दुष्प्रभाव या अनेक दूसरी बीमारियां भी इस स्थिति का कारण हो सकते हैं।

भारत में हर साल रंग दृष्टिहीनता (वर्णांधता) के 1 करोड़ से भी अधिक मामले देखने को मिलते हैं। इस समस्या का कोई स्थायी उपचार नहीं है और यह जीवन भर साथ रह सकता है। हालांकि, कुछ रंगीन फिल्टर या कॉन्टैक्ट लेन्स की मदद से डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को रंग पहचानने में मदद कर सकता है।

कलर ब्लाइंड लोगों को कुछ पेशे अपनाने, जैसे- पायलट, लोको पायलट, इलेक्ट्रीशियन, और ट्रैफिक पुलिस में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

आइये कलर ब्लाइंडनेस का पता लगाने के कुछ तरीके जानते हैं।

इशिहारा कलर टेस्ट (Ishihara Color Test)

यह कलर ब्लाइंडनेस के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट है। इस टेस्ट में डॉक्टर आपको कलर कार्ड दिखाते हैं जिसमें रंगीन गोलाकार बिंदुओं का कई समूह होता है। इन समूहों में एक पैटर्न बना होता है। यह पैटर्न आमतौर पर कोई अंक या अक्षर होते हैं, जिन्हें आपको ढूँढना होता है। इस टेस्ट से लाल-हरा कलर ब्लाइंडनेस का पता लगाया जाता है।  रेड ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस ट्रीटमेंट के लिए कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो वर्णांधता को कुछ हद तक सामान्य कर सकते हैं।

कैंब्रिज कलर टेस्ट (Cambridge Color Test)

यह टेस्ट भी इशिहारा टेस्ट के समान होता है, फर्क इतना है कि इस जांच में रंगीन गोलाकार बिंदुओं को कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाया जाता है। इसमें भी आपको एक पैटर्न ढूँढने के लिए कहा जाता है। भले ही आपको हल्का कलर ब्लाइंडनेस हो, कैम्ब्रिज कलर टेस्ट सटीक परिणाम देता है।

एनोमलोस्कोप टेस्ट (Anomaloscope test)

एनोमलोस्कोप रंग दृष्टिहीनता की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाला एक डिवाइस है। एनोमलोस्कोप टेस्ट में डॉक्टर लाइट के दो अलग सोर्स का उपयोग करते हैं। लाइट के एक सोर्स की चमक और रंग को दूसरे सोर्स की चमक और रंग से मिलाना होता है। अगर आप मिलान कर पाने में असफल होते हैं, तो आप कलर ब्लाइंड पॉजिटिव निर्धारित किए जाएंगे।

एचआरआर – हार्डी रैंड और राइटलर टेस्ट (HRR- Hardy Rand and Rittler Test)

यह टेस्ट रेड ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिसमें डॉक्टर कुछ सरल आकृतियों की मदद लेते हैं। इस टेस्ट में कलर प्लेट्स का उपयोग होता है। पहली छः प्लेट स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए उपयोग में लाई जाती हैं, जिससे कलर ब्लाइंडनेस पॉजिटिव या नेगेटिव निर्धारित होता है। अगली 14 प्लेट्स कलर ब्लाइंडनेस का प्रकार ( प्रोटानोपिया, ड्यूटेरानोपिया, ट्रिटानोपिया) और उसकी सीमा ( हल्का, मध्यम व अधिक) का पता लगाने में मदद करती हैं।

फर्नसवर्थ-मूनसेल 100 ह्यू टेस्ट (Farnsworth Munsell 100 Hue Test)

इस टेस्ट में अलग-अलग रंग के कुछ ब्लॉक दिए जाते हैं, जिन्हें उनके रंग के अनुसार एक साथ व्यवस्थित करके एक पैटर्न बनाना होता है। रंग दृष्टिहीन व्यक्ति यह कर पाने में असमर्थ होता है।

डॉक्टर से सम्पर्क करें

अगर आपको रोजमर्रा के कामों में रंगों का भेद करने में परेशानी हो रही है या फिर आपके परिवार में आपके माता-पिता, या पूर्वजों में किसी को रंग दृष्टिहीनता थी, तो आपको एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलाकर कलर ब्लाइंडनेस की जांच करानी चाहिए।

हालांकि, इस समस्या का कोई स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन कुछ रंगीन फिल्टर या कॉन्टैक्ट लेन्स की मदद से डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को रंग पहचानने में मदद कर सकते हैं। यदि आप एक अच्छे आई स्पेशलिस्ट से परामर्श  करना चाहते हैं तो सेंटर फॉर साइट में अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं अथवा कॉल कर सकते हैं।

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